Daily Routine Life ( दिनचर्या ) according Ayurveda

आचार्य वाग्भट्ट के अनुसार दिनचर्या – आयुर्वेदिक जीवनशैली का रहस्य
आचार्य वाग्भट्ट प्राचीन आयुर्वेद के प्रमुख विद्वानों में से एक थे। उन्होंने "अष्टांग हृदयम्" और "अष्टांग संग्रह" ग्रंथों में स्वास्थ्यवर्धक दिनचर्या का विस्तार से वर्णन किया है। उनके अनुसार, सही दिनचर्या (Daily Routine) का पालन करने से व्यक्ति निरोग और दीर्घायु रह सकता है।

आइए जानते हैं वाग्भट्ट द्वारा बताए गए दैनिक जीवन के नियम:
1. ब्रह्म मुहूर्त में जागना (Early Rising)

आचार्य वाग्भट्ट के अनुसार, ब्रह्म मुहूर्त (सुबह 4 से 6 बजे) में जागना स्वास्थ्य के लिए अत्यंत लाभकारी है। इस समय वातावरण में सकारात्मक ऊर्जा होती है, जो मन और शरीर को शुद्ध करती है।

लाभ:

✔ शरीर में ऊर्जा का संचार होता है।
✔ मन शांत और एकाग्र रहता है।
✔ रोगों से लड़ने की शक्ति बढ़ती है।

2. शौच एवं दंतधावन (Toilet & Oral Hygiene)

सुबह उठकर सबसे पहले शौच जाना और दाँतों की सफाई करना चाहिए। वाग्भट्ट के अनुसार, नीम, बबूल या त्रिफला से बने दंतमंजन का उपयोग करना चाहिए।

लाभ:

✔ दाँत और मसूड़े स्वस्थ रहते हैं।
✔ पाचन क्रिया दुरुस्त होती है।
3. जलपान एवं उष्ण जल सेवन (Water Therapy)
सुबह खाली पेट गुनगुना पानी पीना चाहिए। इससे शरीर की विषाक्तता (Toxins) दूर होती है और पाचन तंत्र मजबूत होता है।

लाभ:

✔ कब्ज और एसिडिटी से राहत।
✔ शरीर का मेटाबॉलिज्म तेज होता है।

4. अभ्यंग (तैलमर्दन / तेल मालिश)

वाग्भट्ट के अनुसार, रोज़ स्नान से पहले शरीर पर तेल मालिश करनी चाहिए। यह वात दोष को संतुलित करता है और शरीर को स्फूर्ति प्रदान करता है।

लाभ:

✔ रक्त संचार अच्छा होता है।
✔ त्वचा में निखार आता है।
✔ जोड़ और मांसपेशियाँ मजबूत रहती हैं।
5. स्नान (Bathing)

आयुर्वेद के अनुसार, रोज़ स्नान करने से शरीर में ताजगी बनी रहती है और रोगों से बचाव होता है। वाग्भट्ट ने हर्बल पानी से स्नान करने की सलाह दी है।

लाभ:

✔ शरीर में रोगप्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है।
✔ तनाव कम होता है।

6. योग एवं व्यायाम (Yoga & Exercise)

सुबह योग और हल्का व्यायाम करना आवश्यक है। वाग्भट्ट के अनुसार, यह शरीर में वात, पित्त और कफ दोष को संतुलित करता है।

लाभ:

✔ मांसपेशियों और हड्डियों को मजबूती।
✔ हृदय स्वस्थ रहता है।
7. नाश्ता एवं भोजन (Healthy Eating Habits)

वाग्भट्ट के अनुसार भोजन के नियम:
✔ सुबह का नाश्ता हल्का और पोषक होना चाहिए।
✔ दोपहर का भोजन दिन का सबसे भारी भोजन हो।
✔ रात का भोजन सूर्यास्त से पहले कर लेना चाहिए।
✔ भोजन हमेशा बैठकर और शांत वातावरण में करें।

लाभ:

✔ पाचन क्रिया मजबूत होती है।
✔ गैस, एसिडिटी और अन्य समस्याएँ नहीं होतीं।


8. कार्य एवं मानसिक संतुलन (Work & Mind Balance)

वाग्भट्ट ने दिनचर्या में मानसिक संतुलन बनाए रखने पर जोर दिया है। व्यक्ति को अनावश्यक चिंता और क्रोध से बचना चाहिए।

लाभ:

✔ मन शांत रहता है।
✔ निर्णय क्षमता बढ़ती है।

9. रात्रि दिनचर्या (Night Routine)

✔ सूर्यास्त के बाद भारी भोजन न करें।
✔ रात में जल्दी सोने की आदत डालें (9-10 बजे तक)।
✔ सोने से पहले 10 मिनट ध्यान करें।

लाभ:

✔ गहरी और शांत नींद मिलती है।
✔ सुबह जल्दी उठने में आसानी होती है।

निष्कर्ष

आचार्य वाग्भट्ट द्वारा बताई गई दिनचर्या अपनाने से व्यक्ति शारीरिक और मानसिक रूप से स्वस्थ रह सकता है। यह न केवल रोगों से बचाने में सहायक है बल्कि आयु भी बढ़ाती है। यदि हम अपने जीवन में यह आदतें शामिल करें, तो निश्चित रूप से स्वस्थ और सुखी जीवन जी सकते हैं।

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